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वर्ष 2016 -17 के दौरान, लघुकालिक फसल ऋण के लिए 6,15,000 करोड़ रुपए के निर्धारित लक्ष्य को पार करके 6,22,685 करोड़ रुपए के ऋण प्रदान किए गए।
कृपया ध्यान दें : इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए जानकारी
प्रभावी तौर पर किसानों के लिए 4% ब्याज दर पर फसल ऋण उपलब्ध है।
इस योजना में भंडारण विकास नियामक प्राधिकरण द्वारा मान्यताप्राप्त भंडारगृहों में भंडारण के लिए अधिकतम 6 माह तक फसल पश्चात संकटापन्न विक्री से बचने के लिए 7% की रियायती ब्याज दर सहित अन्य प्रावधान शामिल है।
इससे किसानों को संस्थागत ऋण प्राप्त होता है और वे ऋण के गैर-संस्थागत स्रोतों से बचने में समर्थ हो पाते हैं, जहां वे निजी कर्जदाताओं द्वारा शोषण का शिकार होते हैं।
वर्तमान वर्ष से लघुकालिक फसल ऋण के सभी खाते आधार से जुड़े होंगे।
महामहिम, प्रधानमंत्री श्री आबे और मीडिया के सदस्यों।
प्रधानमंत्री श्री आबे का भारत में स्वागत करते हुए मझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है।
एक निजी दोस्त और भारत-जापान भागीदारी के महान पैरोकार की मेजबानी करते हुए मैं बहुत खुश हूं।
किसी अन्य भागीदार ने भारत के आर्थिक बदलाव में ऐसा निर्णायक भूमिका नहीं निभाई है जैसी जापान ने निभाई है।
भारत के आर्थिक सपनों को साकार करने में कोई भी दोस्त जापान से अधिक महत्वपूर्ण नहीं होगा।
मैं ऐसे किसी सामरिक भागीदार के बारे में नहीं सोच सकता जो एशिया और हमारे आपस में जुड़े महासागर क्षेत्रों की प्रगति को आकार देने में हमारी अपेक्षा अधिक गहरा प्रभाव डालने के लिए कार्य कर सकता हो।
यही कारण है कि हम अपने विशेष सामरिक और वैश्विक भागीदारी को दिल की गहराई से महत्वपूर्ण मानते हैं।
इसे भारत में बेजोड़ जन सद्भावना और राजनीतिक आम सहमति प्राप्त है।
जो हमारी जनता की बड़ी उम्मीदों और भारी जिम्मेदारियों का निर्वहन करती है।
पिछले एक वर्ष के दौरान इन पर निर्भर रहने के लिए हमने बहुत काम किया है।
हमने आर्थिक सहयोग के साथ-साथ अपनी क्षेत्रीय भागीदारी और सुरक्षा सहयोग में भी भारी प्रगति की है।
प्रधानमंत्री श्री आबे हमारे आर्थिक प्रस्तावों के बारे में, जिनमें से अनेक अब भारत के लिए विशिष्ट बन गए हैं, हमेशा तत्पर और सकारात्मक रहे हैं।
आज जापान के निजी निवेश में भी तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है।
आज हमने अपनी साझा यात्रा में नई ऊंचाइयों को छू लिया है।
असैनिक परमाणु ऊर्जा सहयोग के बारे में हमने जिस ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं वह वाणिज्य और स्वच्छ ऊर्जा के लिए किए गए समझौते की तुलना में बहुत महत्वपूर्ण हैं।
यह शांतिपूर्ण और सुरक्षित विश्व के उद्देश्य के लिए आपसी विश्वास और रणनीतिक भागीदारी के नए स्तर का चमकता हुआ प्रतीक है।
मैं जापान के लिए इस निर्णय के महत्व को जानता हूं।
मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि भारत इस निर्णय का गहराई से सम्मान करता है और हम अपनी साझा प्रतिबद्धताओं का भी सम्मान करेंगे।
हम इस परियोजना के लिए प्रधानमंत्री श्री आबे द्वारा आसान शर्तों पर दिए गए लगभग 12 बिलियन अमेरिकी डॉलर के असाधारण पैकेज और तकनीकी सहायता की सराहना करते हैं।
यह उद्यम निकट भविष्य में भारतीय रेलवे और भारत की यात्रा को गति प्रदान करने में एक क्रांति की शुरुआत करेगा।
यह भारत में आर्थिक बदलाव का वाहक बनेगा।
हम जापानी द्विपक्षीय सहायता कार्यक्रम में हुई तेजी से बढ़ोत्तरी और मेक इन इंडिया मिशन के लिए सार्वजनिक और निजी जापानी प्रतिबद्धता की मजबूती की भी सराहना करते हैं।
सितम्बर, 2014 में टोक्यो में प्रधानमंत्री श्री आबे ने भारत को पांच वर्षों के दौरान 35 बिलियन अमेरिकी डॉलर की जापानी वित्त और निवेश की बात कही थी।
जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए हमारी साझा प्रतिबद्धता भी समान रूप से बहुत मजबूत है।
हम स्वच्छ ऊर्जा और ऊर्जा दक्षता प्रौद्यौगिकियों में व्यापक सहयोग के लिए कार्य कर रहे हैं और विश्व में अन्य देशों के लाभ के लिए भी समाधानों को जुटाएंगे।
अन्य समझौते आज हमारे सहयोग की गहराई और विविधता को दर्शाते हैं।
आज हमने अपनी सुरक्षा सहयोग में दो और निर्णायक कदम उठाए हैं।
यह दो समझौते हमारे रक्षा संबंधों को मजबूत करने के साथ-साथ भारत में रक्षा विनिर्माण को भी बढ़ावा देंगे।
ये सशस्त्र बलों के तीनों अंगों के स्टॉफ की वार्ता को विस्तार करने के हमारे निर्णय को मजबूती प्रदान करेंगे और जापान को मालाबार नौसेना अभ्यास में एक भागीदार बनाएंगे।
हमने एक वर्ष के दौरान अपनी क्षेत्रीय भागीदारी को भी काफी आगे बढ़ाया है।
हमने संयुक्त राष्ट्र के साथ त्रिपक्षीय वार्ता का स्तर उठाया है और आस्ट्रेलिया के साथ भी एक नई शुरूआत की है।
हम इस क्षेत्र में एक समग्र, संतुलित और खुली क्षेत्रीय वास्तुकला और समुद्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए पूर्व एशिया सम्मेलन में एक साथ मिलकर काम करेंगे।
मैं अपेक में भारत की सदस्यता के लिए प्रधानमंत्री आबे के समर्थन की सराहना करता हूं।
हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में हमारे उचित स्थान के लिए भी पूरा प्रयास करेंगे।
संस्कृति और लोग किसी रिश्ते में जीवन का समावेश करते हैं।
हमारे विशिष्ट संबंधों में अद्भूत मानवीय स्पर्श की अनुभूति है।
क्योटो वाराणसी साझेदारी मजबूत प्रतीकों में से एक है।
पिछले वर्ष प्रधानमंत्री आबे ने क्योटो में मेरी अगवानी की थी।
आज मैं उन्हें वाराणसी की प्राचीन विरासत और इसके आधुनिक भविष्य की योजनाओं के बारे में परिचित कराऊंगा।
अंत में दोनों देशों में विशेष संबंधों को मान्यता देते हुए भारत 01 मार्च, 2016 व्यापारिक उद्देश्यों सहित जापानी नागरिकों को आगमन पर वीजा की सुविधा प्रदान करेगा।
यह सुविधा विश्वस्तर पर विस्तार की जा रही इलेक्ट्रानिक वीजा सुविधा से अलग होगी।
आपकी यात्रा ऐसी ही एक यात्रा है।
चूंकि हम भारत जापान संबंधों के विजन 2025 को साकार करने के लिए कार्य कर रहे हैं, इसलिए हम अपने लोगों की समृद्धि में बढ़ोत्तरी करेंगे और हमारे विजन और मूल्यों में एक एशियाई सदी को आकार देंगे।
नेपाल के प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली ने आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को टेलीफोन किया तथा उन्हें नेपाल के राजनीतिक घटनाक्रमों की जानकारी दी।
प्रधानमंत्री ने नेपाल के सामने आ रही राजनीतिक समस्याओं का एक दीर्घकालिक समाधान ढूंढने के महत्व पर बल दिया जो सर्वसम्मति या ‘सहमति’ पर आधारित हो।
प्रधानमंत्री ने नव वर्ष 2016 के लिए नेपाल के लोगों को अपनी शुभकामनाएं व्यक्त कीं।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अपनी फिलीपींस यात्रा के लिए प्रस्थान करने से पहले दिए गए वक्तव्य का मूल पाठ निम्नलिखित है:
‘मैं 12 नवंबर से शुरू होने वाले तीन-दिवसीय दौरे पर मनीला में रहूंगा।
यह फिलीपींस की मेरी पहली द्विपक्षीय यात्रा होगी जहां मैं आसियान-भारत और पूर्व एशिया शिखर सम्मेलनों में भाग लूंगा।
उनमें मेरी भागीदारी से सरकार की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के दायरे में विशेष रूप से आसियान के सदस्य देशों के साथ और सामान्य रूप से एशिया-प्रशांत क्षेत्र के साथ संबंधों को लगातार मजबूती देने के लिए भारत की प्रतिबद्धता जाहिर होती है।
इन शिखर सम्मेलनों के अलावा मैं आसियान की 50वीं वर्षगांठ पर आयोजित विशेष समारोह, क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) के नेताओं की बैठक और आसियान व्यापार एवं निवेश सम्मेलन में भी भाग लूंगा।
आसियान व्यापार एवं निवेश सम्मेलन से आसियान के सदस्य देशों के साथ व्यापार समझौता बढ़ाने के लिए हमारे करीबी सहयोग को बल मिलेगा जिसका हमारे कुल व्यापार में 10.85 प्रतिशत का उल्लेखनीय योगदान है।
फिलीपींस की मेरी पहली यात्रा के दौरान, मैं फिलीपींस के राष्ट्रपति महामहिम श्री रॉड्रिगो ड्यूट्रेटे के साथ एक द्विपक्षीय बैठक की भी उम्मीद करता हूं।
मैं आसियान और पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन के अन्य नेताओं से भी बातचीत करूंगा।
मैं फिलीपींस में रहने वाले भारतीय समुदाय से भी मिलने की उम्मीद करता हूं।
मनीला में अपने प्रवास के दौरान मैं अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआरआरआई) और महावीर फिलीपींस फाउंडेशन इंक.
वैज्ञानिक अनुसंधान एवं विकास के जरिये अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआरआरआई) ने बेहतर गणवत्ता वाले चावल के बीज विकसित कर खाद्य किल्लत जैसी समस्याओं से निपटने में विश्व समुदाय की मदद की है।
बड़ी तादाद में भारतीय वैज्ञानिक आईआरआरआई में काम कर रहे हैं और इस क्षेत्र के आरएंडडी में योगदान कर रहे हैं।
वाराणसी में आईआरआरआई द्वारा दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र स्थापित करने के लिए एक प्रस्ताव को मेरी कैबिनेट ने 12 जुलाई 2017 को मंजूरी दी थी।
यह फिलीपींस में अपने मुख्यालय के बाहर आईआरआरआई का पहला अनुसंधान केंद्र होगा।
वाराणसी केंद्र से चावल की उत्पादकता बढ़ाने, उत्पादन की लागत घटाने, मूल्यवर्द्धन, विवधीकरण और किसानों के कौशल में सुधार के जरिये किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी।
महावीर फिलीपींस फाउंडेशन इंक.
(एमपीएफआई) की मेरी यात्रा से जरूरतमंद दिव्यांगों के बीच कृत्रिम अंग ‘जयपुर फुट’ के मुफ्त वितरण संबंधी उसकी गतिविधियों में भारत का सहयोग प्रदशित होगा।
1989 में अपनी स्थापना के बाद से अब तक एमपीएफआई ने फिलीपींस में करीब 15,000 दिव्यांगों को जयपुर फुट प्रदान कर एक नए जीवन के लिए उन्हें समर्थ बनाया है।
भारत सरकार इस फाउंडेशन को उसकी आदर्श मानवीय गतिविधियों में विनम्र योगदान कर रही है।
मुझे विश्वास है कि मनीला की मेरी इस यात्रा से भारत और फिलीपींस के द्विपक्षीय संबंधों को एक नई ऊंचाई मिलेगी और आसियान के साथ हमारे सहयोग के राजनैतिक, सुरक्षा, आर्थिक एवं सामाजिक-सांस्कृतिक स्तंभों को मजबूती मिलेगी।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अभियंता दिवस पर अपनी शुभकामनाएं दी हैं।
उन्होंने भारत रत्न एम. विश्वेश्वरैया को भी याद किया, जिनके जन्मदिन पर भारत में अभियंता दिवस मनाया जाता है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “अभियंता दिवस पर सभी अभियंताओं को शुभकामनाएं हैं, जिनकी बौद्धिकता, समर्पण और जिज्ञासा के बल पर कई नए आविष्कार संभव हुए।
हम भारत रत्न एम. विश्वेश्वरैया को उनके जन्मदिन पर गर्व और आनंद से सलाम करते हैं।
उन्हें एक पथ-प्रदर्शक अभियंता के रूप में याद करने के साथ-साथ आदर भी किया जाता है।”
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल को बताया गया कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पृथ्वी प्रणाली विज्ञान संगठन (ईएसएसओ) के अधीन एक स्वायत्त संगठन, भारतीय कटिबंधीय मौसमविज्ञान संस्थान (ईएसएसओ-आईआईटीएम) और वर्ल्ड क्लाइमेट रिसर्च प्रोग्राम (डब्ल्यूसीआरपी), जेनेवा के बीच ईएसएसओ-आईआईटीएम, पुणे में एक अंतर्राष्ट्रीय जलवायु बदलाव और अनुमान (सीएलआईवीएआर) मानसून परियोजना कार्यालय (आईसीएमपीओ) की स्थापना के के लिए 9 फरवरी, 2015 को एक समझौते पर हस्ताक्षर किया गया था।
इस समझौते के बाद आईसीएमपीओ को ईएसएसओ-आईआईटीएम में स्थापित किया जाएगा और इसकी अद्वितीय जिम्मेदारियां होंगी।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नासिक में कुंभ मेला शुरू होने पर सभी तीर्थयात्रियों को अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा:-
“नासिक में कुंभ मेला शुरू होने पर सभी तीर्थयात्रियों को मेरी शुभकामनाएं।
उल्लास और आध्यात्मिकता से भरी आपकी तीर्थयात्रा आनंदमय हो।”
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने असम के मुख्यमंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल से राज्य में आई बाढ़ की स्थिति को लेकर बात की है।
प्रधानमंत्री ने ट्वीट में कहा कि केन्द्र सरकार स्थिति की लगातार और बारीकी से निगरानी कर रही है और राज्य के कुछ हिस्सों में आई बाढ़ की स्थिति पर काबू पाने के लिए राज्य सरकार को सभी संभव सहायता उपलब्ध कराई जा रही है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी कल, शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर स्कूली बच्चों के साथ संवाद करेंगे।
नई दिल्ली में माणेकशॉ हॉल में आयोजित कार्यक्रम में, हॉल में उपस्थित बच्चों के अतिरिक्त देशभर के नौ राज्यों के बच्चे सम्मिलित होंगे, जो वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से इस बातचीत में हिस्सा लेंगे।
यह बातचीत सुबह 10 बजे प्रारंभ होगी और इसके करीब 90 मिनट तक चलने की संभावना है।
प्रधानमंत्री, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के सम्मान में एक स्मारक सिक्का भी जारी करेंगे और कला उत्सव वेबसाइट लांच करेंगे।
कला उत्सव, देश में माध्यमिक स्तर के स्कूली छात्रों की कलात्मक प्रतिभा को प्रोत्साहन देने और उसके प्रदर्शन के माध्यम से शिक्षा में कला को बढ़ावा देने की दिशा में मानव संसाधन विकास मंत्रालय की एक पहल है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज “न्यू इंडिया-मंथन” विषय पर वीडियो कॉन्फेंसिग के माध्यम से पूरे देश के जिलाधिकारियों को संबोधित किया।
भारत छोड़ो आंदोलन की 75 वीं वर्षगांठ के अवसर पर हुई जिलाधिकारियों के साथ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की इस तरह की यह पहली इन्टरएक्शन है, जिसका उद्देश्य “न्यू इंडिया-मंथन” को जमीनी स्तर पर क्रियान्वित करना है।
उन्होंने कहा कि यह तारीख युवाओं की इच्छा शक्ति और महत्वाकांक्षा का प्रतीक है।
श्री नरेन्द्र मोदी ने याद किया कि भारत छोड़ो आंदोलन की शुरूआत के दिनों में कैसे स्वतंत्रता आंदोलन के वरिष्ठ नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया और कैसे पूरे देश के युवाओं ने आगे बढ़कर इस आंदोलन को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब युवा नेतृत्व की भूमिका में आते हैं तो लक्ष्यों को हासिल करना निश्चित हो जाता है।
उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी न केवल अपने जिलों का प्रतिनिधित्व करते हैं बल्कि वे उस क्षेत्र के युवाओं का भी प्रतिनिधित्व करते हैं।
उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी भाग्यशाली हैं क्योंकि उन्हें खुद को देश के लिए समर्पित करने का अवसर मिल रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार प्रत्येक व्यक्ति, प्रत्येक परिवार और प्रत्येक संगठन को कुछ लक्ष्यों को निर्धारित और चिन्हित करने के लिए आह्वान कर रही है, जिसे वे 2022 तक पूरा करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि जिलों के प्रतिनिधियों के रूप में, जिलाधिकारियों को अब यह तय करना होगा कि वे 2022 में अपने जिलों को कहाँ देखना चाहते हैं, किन-किन कमियों को दूर किया जाना चाहिए और किन-किन सेवाओं को सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ जिले सदैव बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सेवाओं में पीछे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जब 100-सबसे पिछड़े जिलों में सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों में सुधार होगा, तो इससे देश के समग्र विकास मानकों को बढ़ावा मिलेगा।
उन्होंने कहा कि जिलाधिकारियों की जिम्मेदारी जिलाधिकारियों की है कि वे इस काम को एक मिशन मोड में करें।
प्रधानमंत्री ने उन जिलों को अपने सर्वोत्तम प्रयासों की पुनरावृत्ति करने और उसे बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया, जहां क्षेत्र विशेष या योजना में अच्छे परिणाम प्राप्त किए जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने जिलाधिकारियों को उनके सहकर्मियों, जिले के बुद्धिजीवियों, स्कूलों और कॉलेजों के छात्रों से 15 अगस्त से पहले अपने-अपने जिले के लिए एक विजन दस्तावेज या एक संकल्प दस्तावेज तैयार करने को कहा।
इस संकल्प दस्तावेज़ में 10 से 15 उन उद्देश्यों को शामिल किया जाना चाहिए, जिन्हें वे 2022 तक हासिल करना चाहते हैं।
प्रधानमंत्री ने जिलाधिकारियों को वेबसाइट www.newindia.in के बारे में सूचित किया – जिसमें ‘संकल्प से सिद्धि’ आंदोलन से संबंधित जानकारी और कार्यक्रमों के बारे में उल्लेख किया गया है।
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार वे जिलाधिकारियों के साथ मंथन कर रहे हैं, वैसे ही जिलाधिकारी भी अपने-अपने जिलों में ऐसा कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने न्यू इंडिया वेबसाइट के बारे में महत्वपूर्ण बातों का उल्लेख किया, जैसे स्वतंत्रता संग्राम पर ऑनलाइन क्विज़ के एक अंग के रूप में आयोजित विभिन्न घटनाओं पर एक व्यापक कैलेंडर जैसे कि ‘संकल्प से सिद्धि’ आंदोलन।
प्रधानमंत्री ने जिले में विकास कार्य की तुलना रिले दौड़ से की।
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार रिले दौड़ में बैटन को एक एथलीट के माध्यम से दूसरे एथलीट को दौड़ने के लिए दिया जाता है और जिनका अंतिम उद्देश्य दौड़ जीतना होता है उसी प्रकार विकास बैटन को सफलतापू्र्वक एक जिलाधिकारी से दूसरे जिलाधिकारी तक पहुंचाया जाता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कई बार योजनाएं अपने अपेक्षित प्रभाव डालने में विफल रहती हैं, क्योंकि लोगों को उनके बारे में जानकारी नहीं होती है।
उन्होंने कहा कि जिलाधिकारियों को लोगों को एलईडी बल्ब, भीम ऐप जैसी पहल के बारे में जागरूक करना चाहिए।
इसी प्रकार, प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘स्वच्छ भारत अभियान’ एक उत्तरदायी प्रशासन और लोगों के बीच जागरूकता पर निर्भर करता है।
उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में असली बदलाव केवल सार्वजनिक भागीदारी के जरिए ही लाया जा सकता है।
प्रधानमंत्री ने जिलाधिकारियों से फाइलों से बाहर निकलने और जमीनी हकीकत को समझने के लिए जिलों के दूरदराज इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति जानने के लिए मैदान में उतरने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी क्षेत्र का जितना अधिक दौरा करेगा, उतना ही अधिक वह फ़ाइलों पर गौर कर पाएगा।
जीएसटी पर, प्रधानमंत्री ने जिलाधिकारियों से अपने जिले में व्यापारियों को यह समझाने के लिये कहा कि कैसे यह “अच्छा और सरल कर” है।
उन्होंने उनसे यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा कि हर व्यापारी जीएसटी के अंतर्गत पंजीकृत हो।
उन्होंने उनसे अपने जिले में सभी खरीद के लिए सरकारी ई-मार्केटप्लेस का लाभ उठाने का कहा।
प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी के संदेश को याद किया कि प्रशासन का अंतिम लक्ष्य सबसे ज्यादा गरीब के जीवनस्तर में सुधार लाने का होना चाहिए।
उन्होंने जिलाधिकारियों से आग्रह किया कि वे हर रोज खुद से पूछें कि उन्होंने गरीबों के जीवन में बदलाव लाने के लिए क्या किया है।
उन्होंने जिलाधिकारियों से उन गरीबों की बात को ध्यान से सुनने के लिए कहा, जो उनके पास अपनी फरियाद लेकर आते हैं।
अंत में, प्रधानमंत्री ने कहा कि जिलाधिकारी युवा और सक्षम हैं और अपने जिले के लिए न्यू इंडिया 2022 के लिए संकल्प कर सकते हैं।
उन्होंने विश्वास जताया कि उनके संकल्प साकार हो सकते हैं और इस प्रक्रिया में देश भी उपलब्धियों की नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगा।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने रमजान के अवसर पर मुस्लिम समुदाय के लोगों को बधाई दी है।
उन्होंने कहा “रमजान का पवित्र महीना शुरू होने पर, मैं मुस्लिम समुदाय के लोगों को बधाई देता हूं।
रमजान का पवित्र महीना हमारे समाज में भाईचारा और सौहार्द की भावना को मजबूत करेगा।”
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आंध्र प्रदेश और ओडिशा के लिए केन्द्र प्रायोजित राष्ट्रीय चक्रवात जोखिम शमन परियोजना के पहले चरण के लिए संशोधित लागत अनुमानों को आज अपनी मंजूरी दे दी।
इसकी मूल लागत में 835 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है और यह 1496.71 करोड़ रुपये से बढ़कर 2331.71 करोड़ रुपये हो गई है।
इससे समुद्री तटों के नजदीक रहने वाले लोगों की चक्रवात सम्बन्धी परेशानियां दूर करने में मदद मिलेगी।
आबादी का यह वर्ग आमतौर से गरीब और समाज के कमजोर तबके से है।
केंद्र सरकार विश्व बैंक के ऋण के जरिए 1843.94 करोड़ रुपये के बराबर वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।
शेष 487.77 करोड़ रुपये की राशि का योगदान आंध्र प्रदेश और ओडिशा सरकार देगी।
इस परियोजना का व्यापक उद्देश्य जोखिम वाले क्षेत्रों में चक्रवात की पूर्व सूचना, ट्रेकिंग और चेतावनी प्रणाली, चक्रवात जोखिम शमन और क्षमता निर्माण प्रदान करना है।
इसके लिए निर्मित प्रमुख बुनियादी ढांचे में बहुउद्देश्यीय चक्रवात आश्रय (आश्रय स्थलों और गोदाम सहित तथा घरों की तरफ जाने वाली सड़कें/पुल) और तटबंध (निर्माण और लवणीय तटबंधों का निर्माण और पुनरूद्धार) शामिल हैं।
राज्यों में प्रस्तावित निवेश से समुद्री तट के नजदीक रहने वाले लोगों की सुरक्षा, उन्हें निकालने, उन तक बेहतर पहुंच, बेहतर चेतावनी का प्रसार और तेजी से प्रतिक्रिया के लिए तटीय बुनियादी ढांचा मजबूत करने में मदद मिलेगी।
इस परियोजना से ओडिशा में 10.46 लाख लोगों और आंध्र प्रदेश में 7.18 लाख लोगों को लाभ होगा।
इससे ओडिशा में 38,296 हेक्टेयर भूमि तथा आंध्र प्रदेश में करीब 12,640 हेक्टेयर भूमि की रक्षा करने में मदद मिलेगी।
बढ़ी हुई लागत से इन राज्यों में फेलिन तूफान से निपटने के दौरान हुए अनुभवों के आधार पर चक्रवात जोखिम शमन के लिए अतिरिक्त बुनियादी ढांचों (246 बहुउद्देश्यीय चक्रवात आश्रय स्थलों, 204 किलोमीटर सड़कों और 15 पुलों) का निर्माण हो सकेगा।
अक्तूबर 2013 में ये राज्य इस तूफान से प्रभावित हुए थे।
अतिरिक्त बुनियादी ढांचे के निर्माण को पूरा करने के लिए परियोजना की समय सीमा 31 जनवरी, 2016 से बढ़ाकर 31 मार्च, 2018 कर दी गई है।
तटीय रेखा के समुद्र तटीय राज्यों की कुल आबादी के करीब 40 प्रतिशत लोग 100 किलोमीटर के भीतर रहते हैं।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार शाम को जिनेवा जाने से पहले दोहा में भारतीय समुदाय को संबोधित किया।
उत्साही भीड़ को संबोधित करते हुए उन्होंने कतर में भारतीय समुदाय से कहा कि वे भारत से कभी अलग नहीं रहते।
भारत में बदलाव सवा सौ करोड़ लोगों की वजह से हुआ है।
उन्होंने कतर की सरकार और लोगों के प्रति आभार जताया।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने थाइलैंड के राजा महामहिम भूमिबोल अदुल्यादेज के निधन पर शेक व्यक्त किया है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैं और भारत के लोग अपने समय के शीर्षस्थ नेताओं में से एक किंग भूमिबोल अदुल्यादेज के निधन पर थाइलैंड के लोगों के दुःख में साथ खड़े हैं।
किंग भूमि अदुल्यादेज अथवा राम 9 अपने लोगों के बीच काफी सम्मानित थे।
मैं उनके परिवार और अनगिनत शुभचिंतकों के साथ खड़ा हूं।’
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आज केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने और वन्य जीवों की तस्करी से निपटने के लिए भारत और अमरीका के बीच सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने को मंजूरी प्रदान की।
इस मंजूरी के साथ ही, भारत वन्यजीव संरक्षण और वन्यजीव क्षेत्रों के प्रबंधन तथा वन्यजीवों और उनसे बनने वाले उत्पादों के अवैध कारोबार से निपटने से जुड़े अमरीकी संस्थानों की विशेषज्ञता से लाभान्वित होगा।
भारत और अमरीका समृद्ध जैव विविधता और प्राकृतिक धरोहर से संपन्न हैं और उन्होंने अपने अपने यहां संरक्षित क्षेत्रों का एक नेटवर्क स्थापित किया है।
वन्यजीव सरंक्षण से जुड़ी प्राथमिक चिंताओं को मिटाने के लिए दोनों देशों के पास अपनी व्यवसायिक कुशलता को साझा करने की संभावनाएं मौजूद हैं, ऐसे में यह सहमति ज्ञापन सहयोग का सुविधाजनक मंच उपलब्ध कराएगा।
सहमति ज्ञापन के अंतर्गत दोनों देश निम्नलिखित क्षेत्रों में सहयोग कर सकेंगे :
क. वन्यजीव फॉरेन्सिक और संरक्षण जेनेटिक्स : प्रजातियों के संरक्षण के प्रयासों और वन्यजीव अपराधों के मामलों में बेहतर वैज्ञानिक प्रमाण संग्रहण में उपयोगी है, जिससे बेहतर अमल का मार्ग प्रशस्त होगा।
ख. प्राकृतिक विश्व धरोहर संरक्षण : भारतीय वन्यजीव संस्थान के मौजूदा यूनेस्को श्रेणी-2 केंद्र की संस्थागत क्षमता को सुगम बनाना।
प्रकृति की विवेचना और संरक्षण के प्रति जागरूकता: जैव विविधता के संरक्षण संबंधी जटिल मामलों को समझने के लिए जनता, विशेषकर युवाओं और बच्चों को संवेदनशील बनाने हेतु वन प्रबंधकों के जनता के साथ इंटरफेस को मजबूत बनाना।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में सहयोग के लिए भारत और बहरीन के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर को अपनी स्वीकृति दे दी है।
समझौता ज्ञापन में सहयोग के निम्नलिखित क्षेत्र शामिल किए गए हैं:
सहयोग के विवरणों को व्यापक बनाने तथा समझौता ज्ञापन के क्रियान्वयन की निगरानी के लिए एक कार्य समूह का गठन किया जाएगा।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी नुसरवानजी टाटा को श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि जो सत्ता की इच्छा या सत्ता पाये बिना इतिहास रचते हैं वे सचमुच महान होते हैं।
प्रधानमंत्री जमशेदजी नुसेरवानजी टाटा की 175वीं जयंती पर स्मारक सिक्के को जारी करने के बाद बोल रहे थे।
उन्होंने जमशेदजी टाटा की पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा के उनके दृष्टिकोण और टाटा समूह से जुड़े लोगों के कल्याण के लिए उठाये गये कदमों के लिए उनकी सराहना की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी व्यवसायी द्वारा भारी धनराशि दान में देने की संस्कृति पश्चिमी दुनिया के लिए नई थी, लेकिन जमशेदजी टाटा ने इसे बहुत पहले कर दिया था।
श्री नरेन्द्र मोदी ने 1893 में जापान से कनाडा जाते हुए जहाज पर स्वामी विवेकानंद और जमशेदजी टाटा के बीच हुई मुलाकात का भी जिक्र किया।
उन्होंने कहा कि दो महान व्यक्तियों-एक संन्यासी और दूसरा उद्योगपति-ने एक ही विचारधारा को साझा किया और एक आत्मनिर्भर भारत के लिए उनका एक ही साझा दृष्टिकोण था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके लिए जमशेदजी टाटा के सम्मान में स्मारक सिक्के जारी करना एक गर्व की बात है।
इस अवसर पर वित्त राज्यमंत्री श्री जयंत सिन्हा और टाटा संस के चेयरमैन श्री साइरस मिस्त्री भी उपस्थित थे।
विनिमय व्यवस्था विदेशी मुद्रा में अल्पकालिक कमी को पूरा करने के लिए भुगतान संतुलन के उचित स्तर को बनाए रखने के उद्देश्य से घरेलू मुद्रा के अधिकतम 75 बिलियन अमेरिकी डॉलर के आवश्यक विनिमय और पुनर्विनिमय के लिए भारत और जापान के मध्य एक अनुबंध है।
द्विपक्षीय विनिमय व्यवस्था (बीएसए) परेशानी के समय एक-दूसरे की मदद करने के रणनीतिक उद्देश्य और अंतर्राष्ट्रीय आत्मविश्वास को बहाल करने के लिए भारत और जापान के बीच आपसी सहयोग का एक अच्छा उदाहरण है।
इस सुविधा से पूंजी की सहमत राशि भारत को उपयोग के लिए तुरंत उपलब्ध हो जाएगी।
इस व्यवस्था से भारतीय कम्पनियों के लिए विदेशी पूंजी की निकासी की संभावनाओं में सुधार आएगा, क्योंकि देश की विनिमय दर की स्थिरता में अधिक विश्वास पैदा होगा।
भुगतान संतुलन (बीओपी) में उत्पन्न होने वाली कठिनाइयों से निपटने में ऐसी विनिमय व्यवस्था की उपलब्धता से घरेलू मुद्रा पर सट्टेबाजी हमलों से बचाव होगा और विनिमय दर की अस्थिरता से निपटने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक की क्षमता में काफी बढ़ोतरी होगी।
यह व्यवस्था भारत और जापान के बीच आपसी आर्थिक सहयोग और विशेष रणनीतिक तथा वैश्विक भागीदारी में एक और मील का पत्थर है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हैम्बर्ग में जी 20 शिखर सम्मेलन के अवसर पर आज कोरिया गणराज्य के राष्ट्रपति श्री एच. ई. मून से मुलाकात की।
प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति चुनाव में जीत के लिए राष्ट्रपति मून को व्यक्तिगत तौर पर बधाई दी।
राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री के बधाई वाले फोन कॉल और कोरियाई भाषा में ट्वीट को याद किया जिसे दक्षिण कोरिया के लोगों द्वारा गर्मजोशी से प्राप्त किया गया था।
दोनों नेताओं ने भारत और दक्षिण कोरिया के बीच विशेष रणनीतिक साझेदारी को खासकर मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया जैसे कार्यक्रमों में भागीदारी के जरिये और विकसित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई।
इटली के प्रधानमंत्री महामहिम श्री पाओलो जेंतोलिनी के साथ प्रधानमंत्री मोदी की चर्चा द्विपक्षीय संबंधों को प्रोत्साहित करने खासकर व्यापार एवं निवेश और लोगों से लोगों के संपर्क को बढ़ावा देने पर केंद्रित रही।
प्रधानमंत्री मोदी ने इसी साल नवंबर में भारत में आयोजित होने वाली खाद्य प्रसंस्करण प्रदर्शनी- वर्ल्ड फूड इंडिया में भाग लेने के लिए इटली को आमंत्रित किया।
दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग को मजबूती देने के लिए दोनों देशों के मझोले उद्यमों के बीच बातचीत को प्रोत्साहित करने के महत्व पर जोर दिया।
इटली के प्रधानमंत्री ने औद्योगिक क्षेत्र सहित अपने देश में हुए भारतीय निवेश की सराहना की।
दोनों नेताओं ने जलवायु परिवर्तन की रोकथाम और अफ्रीका में विकास को बढ़ावा देने के लिए स्थायी समाधान तलाशने के लिए साथ मिलकर काम करने के तौर तरीकों पर भी चर्चा की।
प्रधानमंत्री मोदी और नॉर्वे के महामहिम प्रधानमंत्री सुश्री अर्ना सोलबर्ग के साथ द्विपक्षीय मामलों खासकर आर्थिक संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा की।
प्रधानमंत्री मोदी ने नेशनल इनवेस्टमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर फंड में भागीदारी के लिए नॉर्वेजियन पेंशन फंड को आमंत्रित किया।
नॉर्वे के प्रधानमंत्री ने यूएनजीए के तत्वाधान में आयोजित होने वाले ओसेन्स कॉन्फ्रेंस में भाग लेने के लिए भारत को आमंत्रित किया।
स्थायी विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने में सहयोग के संकेत के तौर पर प्रधानमंत्री सोलबर्ग ने बैठक के अंत में प्रधानमंत्री मोदी को एक फुटबॉल भेंट किया जिस पर एसडीजी अंकित था।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज वाशिंगटन डीसी में भारतीय समुदाय के लोगों से मिले।
उन्होंने इस अवसर पर कहा कि भारत से जब भी कोई कोई अच्छी खबर आती है अमेरिका में बसे भारतीय प्रवासी खुशी मनातें हैं और चाहते हैं कि भारत नयी ऊंचाइयों को छुए।
उन्होंने प्रवासी भारतीयों की अमेरिकी अर्थव्यवस्था में योगदान की भूमिका की सराहना भी की।
उन्हेाने कहा कि भारत के लोगों को अब अवसर और बेहतर माहौल मिल रहा है।
उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्दी ही ये लोग देश में भी बड़ा परिवर्तन लेकर आएंगे।
प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि पिछले तीन सालो में केन्द्र सरकार पर भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं लगा है।
उन्होंने भ्रष्टाचार खत्म करने में प्रौद्योगिकी की भूमिका की विशेष रुप से चर्चा की।
इस अवसर पर उन्होंने प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना के लाभों का विस्तार से जिक्र करते हुए कहा कि इससे जरुरतमंदों तक सब्सिडी का लाभ पहुंचाने और इसमें किसी तरह की गड़बडी को रोकने में काफी मदद मिली है।
श्री मोदी ने एलपीजी सब्सिडी योजना को स्वत: छोड़ने वाले परिवारों को बधाई दी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रौद्योगिक आधारित शासन के जरिए एक आधुनिक भारत का निर्माण हो रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत के लोगों की आकांक्षाओं को सही नीतियों और कुशल प्रशासन के जरिए ही पूरा किया जा सकता है।
आतंकवाद के खतरों पर उन्होंने कहा कि दुनिया आज इस खतरे को समझ रही है।
उन्होंने इस संदर्भ में भारत की ओर से हाल में किए गए सर्जिकल स्ट्राइक का जिक्र किया।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल को मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के अंतर्गत भारत और रूस के बीच समझौता ज्ञापन से अवगत कराया गया।
इस समझौता ज्ञापन पर नई दिल्ली में 15 अक्टूबर, 2015 को हस्ताक्षर किया गया था।
समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर से भारत और रूस के बीच सहयोग मजबूत होगा और रेडियेशन शिल्डिंग, लाइफ स्पोर्ट सिस्टम, क्रू मॉड्यूल, समागम स्थल तथा डॉकिंग प्रणाली, अंतरिक्ष कक्ष, अंतरिक्ष यात्रियों के लिए प्रशिक्षण जैसे मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के लिए टेक्नोलॉजी तथा अग्रिम प्रणालियां विकसित करने के काम को गति मिलेगी।
इस समझौते से मानवता के लाभ के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी टेक्नोलाजी के ऐप्लीकेशन के क्षेत्र में संयुक्त गतिविधियां बढ़ेंगी।
इससे एक संयुक्त कार्य समूह बनेगा जो समझौता के प्रावधानों को लागू करने की समय सीमा तथा उपायों सहित कार्य योजना तैयार करेगा।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में लांच की गई सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के प्रति लोगों में देखे जा रहे जबर्दस्त उत्साह पर खुशी जाहिर की है।
अधिकारियों ने मुझे बताया कि पिछले दो दिनों में 50 लाख से भी ज्यादा लोग इन योजनाओं से जुड़ चुके हैं।
लोगों एवं अधिकारियों को बधाईयां।
गुजरात के पुन्सारी गांव में पंचायत ने हाल ही में लांच की गई सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का प्रीमियम अदा करने का निर्णय लिया है।
वाकई यह अच्छा संकेत है।”
प्रधनानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने श्री लंका के पूर्व पन्रधानमंत्री श्री रतनासिरी विक्रेमान्याके की मृत्यु पर शोक व्यक्त किया है।
प्रधानमंत्री ने कहा – ‘‘अनुभवी राजनीतिज्ञ और श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री श्री रतनासिरी विक्रेमान्याके की मृत्यु पर गहरा शोक है।’’
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी आज मुंबई में कारोबारी हस्तियों से मिले और उनके साथ बातचीत की।
इस संवाद सत्र में भारतीय अर्थव्यवस्था के व्यापक क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाली 41 कारोबारी हस्तियां मौजूद थीं।
दो घंटे के संवाद में पिछले चार वर्षों में केन्द्र सरकार द्वारा किए गए नीतिगत सुधारों और कार्यक्रमों पर व्यापक चर्चा हुई।
इस संवाद सत्र में आर्थिक वृद्धि और विकास में उद्योग के योगदान पर भी विचार-विमर्श किया गया।
उद्योगजगत के अनेक प्रतिनिधियों ने देश में कारोबारी माहौल में सुधार की सराहना की और कहा कि इससे भारत की विकास क्षमता को महसूस किया जाएगा।
उद्योग प्रतिनिधियों ने प्रधानमंत्री के नये भारत के विजन के प्रति समर्थन व्यक्त किया।
प्रधानमंत्री ने हाल में स्टार्टअप और उद्यमियों के साथ हुए विचार-विमर्श की चर्चा की।
उन्होंने कहा कि अब देश में एक सकारात्मक सोच बनी है और यह भावना पैदा हुई है कि कुछ कर सकते हैं।
उन्होंने कॉरपोरेट क्षेत्र से बड़े पैमाने पर निवेश करने, विशेषकर कृषि क्षेत्र में निवेश करने, का आग्रह किया।
उन्होंने नीतिगत पहलों, विकास के समग्र दृष्टिकोण, नवाचार भावना तथा प्रौद्योगिकी के बारे में राय व्यक्त की।
भारत रत्न एम. एस. सुब्बालक्ष्मी की परपोती एस. ऐश्वर्या और एस. सौंदर्या ने आज अपने माता पिता वी. श्रीनिवासन और गीता श्रीनिवासन के साथ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की।
सुश्री ऐश्वर्या और सुश्री सौंदर्या ने ‘मैत्रीम भजता’ का छोटा सा प्रदर्शन किया।
यह एक मंगल गीत है जिसे एम. एस. सुब्बालक्ष्मी ने अक्टूबर 1966 में संयुक्त राष्ट्र में खुद प्रस्तुत किया था।
इस मंगल गीत को कांची के आचार्य श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती ने संस्कृत में तैयार किया था।
यह सार्वभौम मित्रता एवं विश्व शांति के लिए गीत है जिसे एम. एस. सुब्बालक्ष्मी ने संयुक्त राष्ट्र में अपनी प्रस्तुति के बाद कई कार्यक्रमों में गाया।
इसके अंतिम शब्द हैं- ‘श्रेय ओ भूयात सकल जनानाम’ यानी सभी लोगों को खुशियां और आशीर्वाद मिले।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सहकारी बैंकों से अल्पकालिक ऋण लेने वाले किसानों के दो माह नबंबर एवं दिसंबर 2016 के ब्याज में छूट को अपनी कार्योत्तर मंजूरी दे दी है।
यह फैसला नाबार्ड द्वारा सहकारी बैंकों को अतिरिक्त पुनर्वित्तीयन के लिए राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) को ब्याज सब्सिडी भी उपलब्ध कराएगा।
सहकारी बैंकों से अल्पकालिक ऋण लेने वाले देश भर के किसानों को इस फैसले से लाभ होगा।
यह फैसला सहकारी बैंकों के लिए संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए किया गया है, जिससे किसानों को आसानी से फसल ऋण मिल सके और वे नकदी की कमी के कारण रबी फसल की बुवाई में हुई कठिनाई से बाहर आ सकें।
नवंबर एवं दिसंबर, 2016 के ब्याज में छूट को ध्यान में रखते हुए सहकारी बैंकों को पुनर्वित्तीयन के लिए नाबार्ड के जरिए अतिरिक्त संसाधन मुहैया कराए जा रहे हैं।
सहकारी बैंकों द्वारा चालू वित्त वर्ष 2016-17 में इसे किसानों के लिए जारी रखा जाएगा।
इस मद में 1,060.50 करोड़ रुपये के अतिरिक्त वित्तीय दायित्व की आवश्यकता होगी।
ब्याज सब्सिडी योजना (आईएसएस) को लागू करने के लिए वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान 15,000 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है, जिसका पहले ही उपयोग कर लिया गया है।
पृष्ठभूमि
इसलिए, इस तरह के कृषि ऋण पर किसानों को सिर्फ चार प्रतिशत का ही ब्याज देना होता है।
ii. 500 और 1000 रुपये के नोट बंद कर दिए जाने के कारण और इसके परिणामस्वरूप किसानों को मंडी में अपनी खरीफ की फसल के बदले में मिले चेक को कैश कराने में हुई परेशानी, कैश की कमी के कारण प्रभावित हुई रबी की बुवाई तथा अल्पाकालिक कृषि कर्ज का ब्याज चुकाने में आई मुश्किलों, विशेषकर सहकारी बैंकों पर लगाई गई रोक को देखते हुए उन किसानों को दो महीने यानी नवंबर एवं दिसंबर, 2016 के ब्याज में छूट प्रदान की गई है, जिन्होंने 01.04.2016 से 30.09.2016 की अवधि के दौरान सहकारी बैंकों से लिया कृषि ऋण चुका दिया है।
श्री हामिद अंसारी के लिए आयोजित विदाई कार्यक्रम में बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि श्री अंसारी का लंबा सार्वजनिक जीवन विवादों से दूर रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि श्री अंसारी का परिवार कई पीढ़ियों से सार्वजनिक जीवन में रहा है।
उन्होंने विशेष रूप से ब्रिगेडियर उस्मान को याद किया, जिन्होंने 1948 में देश की रक्षा करते हुए शहादत पाई थी।
प्रधानमंत्री ने श्री अंसारी को सुझाव दिया कि राज्यसभा को चलाने के उनके लंबे अनुभव के आधार पर उन्हें इस संबंध में अपने विचारों को कलमबद्ध करना चाहिए कि ऊपरी सदन के कामकाज को कैसे और ज्यादा प्रभावी बनाया जा सकता है।
सरकार ने वित्त आयोग की सिफारिशों को स्वीकार किया।
राज्यों को दिए जाने वाले विभाज्य पूल में रिकार्ड बढोतरी।
प्रधानमंत्री के पत्र का मूल पाठ निम्नलिखित है:-
“आपको ज्ञात है कि जब से हमारी सरकार ने कार्यभार संभाला है, मैं अपनी संघीय शासन प्रणाली को मजबूत करने और Cooperative federalism को बढ़ावा देने के लिए कार्यरत हूं।
देशवासियों की अपनी सरकारों से बड़ी अपेक्षाएं हैं और वे इंतजार करने के लिए तैयार नहीं हैं।
इसलिए, हम शुरू से ही त्वरित और समावेशी विकास की प्रक्रिया के प्रति कटिबद्ध रहे हैं।
देश की विविधता को देखते हुए, हम समझते हैं कि वास्तविक और गतिशील संघीय शासन के माध्यम से ही इस उद्देश्य को शीघ्रता और समग्रता के साथ हासिल किया जा सकता है।
मेरा दृढ़ विश्वास है कि सशक्त राज्य ही सशक्त भारत की आधारशिला हैं।
जब मैं मुख्य मंत्री था, तब भी मैं यही कहता था कि देश की प्रगति राज्यों की प्रगति पर निर्भर करती है।
इसलिए, हमारी सरकार राज्यों को हर संभव तरीके से सशक्त बनाने के लिए कटिबद्ध है।
हमारा यह भी मानना है कि वित्तीय अनुशासन को ध्यान में रखते हुए, राज्यों को, अधिक वित्तीय मजबूती और स्वायत्तता के साथ अपने कार्यक्रम और योजनाएं तैयार करने की छूट दी जानी चाहिए।
हमें विश्वास है कि इसके बगैर, स्थानीय विकास की जरूरतों को पूरा नहीं किया जा सकता है और पिछड़े समुदायों और क्षेत्रों को मुख्यधारा में नहीं लाया जा सकता है।
इस विजन से, और उसे हासिल करने में जो कदम हमने उठाने हैं, उनसे हमारे लोगों की विकास की अपेक्षाएं पूरी करने में मदद मिलेगी।
इस संदर्भ में हमने 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों को पूर्णतया स्वीकार किया है, हालांकि इससे केन्द्र की वित्त व्यवस्था पर भारी दबाव पड़ता है।
14वें वित्त आयोग ने राज्यों को दिए जाने वाले विभाज्य पूल से अंतरण में 10% की रिकार्ड बढोतरी की है।
पिछले वित्त आयोगों द्वारा इसमें मामूली वृद्धि की गई थी।
वर्ष 2014-15 की तुलना में राज्यों को 2015-16 में कुल हस्तांतरण काफी अधिक होगा।
स्वाभाविक है कि इससे केन्द्र सरकार के उपयोग हेतु काफी कम धन बचेगा।
लेकिन, हमने 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों को एक सकारात्मक भावना के साथ लिया है क्योंकि इनसे आपके हाथ मजबूत होंगे और आप अपनी योजनाओं को अपनी प्राथमिकताओं और जरूरतों के अनुसार तैयार कर क्रियान्वित कर सकेंगे।
अपनी सिफारिशों में 14वें वित्त आयोग ने वित्तीय राजस्व व्यय के पैटर्न में बुनियादी बदलाव किया है।
वित्त आयोग की रिपार्ट के पैरा 7.43 में इसका स्पष्टीकरण किया गया है।
जैसा कि 14वें वित्त आयोग की रिपोर्ट के पैरा 8.6 और 8.7 में उल्लेख है, राज्यों का भी अधिकतर यही विचार रहा है कि ज्यादातर संसाधन, कर-अंतरण के रूप में मिले और केन्द्र प्रायोजित योजनाओं (CSS) की संख्या कम की जाए।
इस प्रकार, केन्द्र सरकार से अनुदानों और योजनाओं से आधारित सहायता से हटकर कर-अंतरण की दिशा में बदलाव किया गया है।
इसलिए विभाज्य पूल का 42% अंतरण हो रहा है।
14वें वित्त आयोग के अनुसार राज्य योजना राजस्व का समस्त व्यय, राज्यों को हस्तांतरित किए गए संसाधनों से पूरा किया जाएगा।
इतने बड़े हस्तांरतण के बावजूद हमने निर्णय लिया है कि हम राष्ट्रीय प्राथमिकता वाले उच्चतम क्षेत्रों, जैसे गरीबी उन्मूलन, MNREGA, शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, कृषि और कुछ अन्य क्षेत्रों को सहायता देते रहेंगे।
आप इस बात से सहमत होंगे कि 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों को स्वीकार कर हम जटिल केन्द्र प्रायोजित योजना और ‘One size fits all’ के दृष्टिकोण से हट रहे हैं।
कई वर्षों से राज्य इस अवधारणा का विरोध करते आ रहे हैं।
देश की आयोजना प्रक्रिया में लंबे समय से चली आ रही इन कमियों और चिंताओं को स्वीकार करते हुए हमारी सरकार ने निर्णय लिया है कि राज्यों को अधिक से अधिक पैसा हस्तांतरित कर, उन्हें अपनी राज्य की विकास की दिशा तय करने की स्वतंत्रता दी जाए।
हस्तांतरित किये जा रहे 10% अतिरिक्त संसाधन आपको यह स्वतंत्रता देगें।
इस संदर्भ में, जब आपके पास भरपूर संसाधन हैं, मैं चाहूंगा कि आप वर्तमान में चल रही केंद्र द्वारा सहायता प्राप्त योजनाओं और कार्यक्रमों की नई दृष्टि से समीक्षा करें।
राज्य अपनी आवश्यकता अनुसार इन योजनाओं और कार्यक्रमों को जारी रखने या उनमें परिवर्तन करने के लिए स्वतंत्र हैं।
इस कार्य में, केंद्र सरकार, विशेषकर नीति आयोग, राज्यों को रणनीति तैयार करने तथा इसके कार्यान्वयन में विचार, ज्ञान एवं तकनीक के जरिए सहायता करेगा।
ये सभी कदम co-operative federalism के मेरे वादे को पूरा करने का हिस्सा हैं।
जैसा कि आप देख चुके हैं, हमने राष्ट्रीय प्राथमिकताओं की चर्चा एवं नियोजन में राज्यों को साथ लेकर चलना प्रारंभ कर दिया है।
हम केंद्र और राज्यों द्वारा खर्च किए गए हरेक पैसे का सर्वाधिक परिणाम हासिल करने हेतु ऐसा कर रहे हैं।
टीम इंडिया की इसी भावना के साथ सभी मुख्यमंत्रियों को नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल में बराबर का भागीदार बनाया गया है।
Co-operative federalism, जो कि सच्चा और वास्तविक federalism है, के माध्यम से देश को तीव्र और समावेशी विकास की राह पर ले जाने की यह हमारी रणनीति है।
हम अपने इस निर्णय के साथ इस बात से भी प्रसन्न हैं कि संसाधन सही जगह जा रहे हैं।
गरीबी का उन्मूलन, नौकरियों का सृजन; लोगों को घर, पीने का पानी, सड़कें, स्कूल, अस्पताल और बिजली की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए यह संसाधन राज्यों को जा रहे हैं।
ऐसा इस देश में पहले कभी नहीं हुआ है।
इसके अतिरिक्त, हाल ही में हमने खनिजों पर रॉयल्टी की दरों को बदला है जिससे कई राज्यों को लाभ मिलेगा।
कोयला और अन्य खनिजों में जो पारदर्शी नीलामी की प्रक्रिया चल रही है, उससे खनिज और कोयला समृद्ध राज्यों को 1 लाख करोड़ रूपये से अधिक की राजस्व प्राप्ति होगी।
अब संसाधनों की न कोई समस्या है और न होगी।
परन्तु हमारी नीतियों की दिशा और इरादे तथा उन्हें कार्यान्वित करने की हमारी क्षमता एक मुद्दा है।
आप इस बात से सहमत होंगे कि केंद्र और राज्य के स्तर पर धन, देश की मुख्य समस्याओं को दूर करने के लिए व्यय होना चाहिए।
हमारा ध्यान गरीबों, किसानों, आम नागरिकों, नौजवानों और बच्चों पर केंद्रित होना चाहिए।
जिन कारणों से वे अपनी पूर्ण क्षमता का उपयोग नहीं कर पाते, उन्हें दूर करना ही हमारी चुनौती है।
हमारे देश की आर्थिक विकास यात्रा में यह एक स्वर्णिम अवसर है।
मेरे द्वारा हाल ही में की गई सभी विदेश यात्राओं से यह बात सामने आई है कि भारत में और यहां निवेश करने में दुनिया आशावादी है।
हर कोई भारत की विकास यात्रा में सहभागी बनना चाहता है।
यह केवल केंद्र सरकार के लिए ही नहीं बल्कि पूरे भारत के लिए एक बड़ा अवसर है।
अपने देश के विकास की प्रक्रिया में एक ऊंची छलाँग लगाने का हम लक्ष्य रखें।
आपके राज्य तथा देश के समक्ष चुनौतियों को परिभाषित कर उनके निराकरण हेतु समय, ऊर्जा और संसाधन लगाने में आपका सहयोग और सहभागिता मिले, इस उद्देश्य से मैं आपको यह पत्र लिख रहा हूं।
मैं आशा करता हूं कि प्रत्येक राज्य अपनी प्राथमिकताओं के लिए योजना बनाकर संसाधनों का उपयोग इन प्राथमिकताओं की पूर्ति हेतु करेगा।
हमें कार्यक्रमों और परियोजनाओं का मूल्यांकन करने के लिए ठोस प्रणाली भी अपनानी चाहिए।
इस प्रयास में मैं आपके साथ काम करूंगा।
हमें साथ मिलकर कार्यों की गुणवत्ता तथा उनके तीव्र कार्यान्वयन से संबंधित मापदण्ड स्थापित करने होंगे।
हम सब इस दिशा में मिलकर काम करें।
इस संबंध में मैं किसी भी समय परामर्श के लिए उपलब्ध रहूंगा।”
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी अगले 2 दिनों के दौरान 2 राज्यों – गुजरात और तमिलनाडु तथा 2 केंद्र शासित प्रदेशों – दमन एवं दीव और पुद्दुचेरी का दौरा करेंगे।
प्रधानमंत्री शनिवार को दमन पहुंचेंगे।
वे वहां विभिन्न विकास परियोजनाओं की शुरुआत करेंगे और विभिन्न सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों को प्रमाणपत्र सौंपेंगे।
वे एक आम सभा को भी संबोधित करेंगे।
प्रधानमंत्री फिर तमिलनाडु जायेंगे।
चेन्नई में राज्य सरकार की एक कल्याणकारी योजना – अम्मा टू व्हीलर योजना के उद्घाटन अवसर पर उपस्थित होंगे।
रविवार को प्रधानमंत्री पुद्दुचेरी का दौरा करेंगे।
अरविंद आश्रण में वे श्री अरविंद को पुष्पांजलि अर्पित करेंगे और श्री अरविंद इंटरनेश्नल सेंटर ऑफ एजुकेशन के छात्रों के साथ बातचीत करेंगे।
प्रधानमंत्री ऑरोविले का भी दौरा करेंगे।
ऑरोविले के स्वर्ण जयंती समारोह के अवसर पर वे स्मारक-डाक टिकट जारी करेंगे।
इस अवसर पर वे संबोधन भी करेंगे।
प्रधानमंत्री पुद्दुचेरी में एक आम सभा को भी संबोधित करेंगे।
रविवार की शाम को प्रधानमंत्री सूरत, गुजरात में रहेंगे, जहां वे ‘रन फॉर न्यू इंडिया मैराथन’ का शुभारंभ करेंगे।
रोजगार का सृजन भारत सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
श्रम ब्यूरो सहित कुछ एजेंसियों द्वारा कुछ आंकड़ों को एकत्र और प्रकाशित किया जाता है लेकिन इनके कवरेज का क्षेत्र बहुत छोटा है।
इसका परिणाम यह होता है कि सही आंकड़ों के अभाव में ही नीति बनाई जाती है और विश्लेषण किए जाते हैं।
रोजगार पर समयबद्ध और विश्वसनीय आंकड़ों के महत्व को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री कार्यालय सहित इससे संबंधित एजेंसियों को इस मसले को सुलझाने के लिए निर्देश दिया है ताकि देश के सांख्यिकीय ढांचे के अंतराल को भरा जा सके।
कार्यबल ऐसे समाधान सुझाएगा जिसे समयबद्ध तरीके से कार्यान्वित किया जा सके।
प्रधानमंत्री ने निर्देश दिया है कि यह कार्य शीघ्र ही आगे बढ़ाया जाए ताकि रोजगार संबंधी नीतियों को विश्वसनीय आंकड़ों के आधार पर प्रभावी तरीक से तैयार की जा सकें।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने चिकित्सक दिवस पर चिकित्सकों के प्रति सम्मान व्यक्त किया।
मैं चिकित्सक दिवस पर चिकित्सक समुदाय के प्रयासों को सलाम करता हूं और कामना करता हूं कि स्वस्थ भारत बनाने के प्रयासों को सफलता मिले।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज राष्ट्रपति भवन में राज्यपालों के सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित किया।
प्रधानमंत्री ने सम्मेलन में हुए विचार-विमर्श और इनपुट साझा करने की प्रशंसा की।
उन्होंने कहा कि भारत के विभिन्न राज्यों के बीच सौहार्द और एकता प्रोत्साहित करने के नए तरीके विकसित करने की आवश्यकता है।
प्रधानमंत्री ने राज्यपालों से आग्रह किया कि वे विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में अकादमी के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्टता को प्रोत्साहित करें।
उन्होंने कहा कि भारतीय विश्वविद्यालयों को विश्व के श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में शामिल होने की आकांक्षा रखनी चाहिए और इस बदलाव को मूर्त रूप देने में राज्यपाल महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने इस संदर्भ में आईआईएम तथा शीर्ष 10 सरकारी विश्वविद्यालयों और शीर्ष 10 निजी विश्वविद्यालयों में स्वायत्ता को प्रोत्साहित करने की केंद्र सरकार की पहल की चर्चा की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार जनसाधारण के लिए सहज जीवन प्रोत्साहित करने की दिशा में काम कर रही है।
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक जीवन में अपने विशाल अनुभवों के माध्यम से राज्यपाल जीवन की सहजता के उद्देश्य से नागरिक सेवा एजेंसियों और सरकारी विभागों को प्रेरित कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने केन्द्र सरकार की महत्वकांक्षी स्वास्थ्य बीमा योजना आयुष्यमान भारत पर भी प्रकाश डाला।
श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि 2022 में भारतीय स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ और 2019 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती जैसे अवसर विकास लक्ष्यों को हासिल करने में प्रेरणादायी मिल के पत्थर के रूप में काम कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि आगामी कुंभ मेला राष्ट्रीय विषयों को प्रोत्साहित करने के महत्वपूर्ण अवसर के रूप में कार्य कर सकता है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने विजय दिवस के अवसर पर 1971 के युद्ध में बहादुरी से लड़ने वाली अपनी सशस्त्र सेनाओं के बलिदान और वीरता का स्मरण किया।
प्रधानमंत्री ने कहा, “हम 1971 के युद्ध में बहादुरी से लड़ने वाली अपनी सशस्त्र सेनाओं के बलिदान और साहस को स्मरण करते हैं।
हमें उन पर बहुत गर्व है।”
रूस के उप प्रधानमंत्री श्री दिमित्री रोगोजिन ने आज प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की।
उन्होंने प्रधानमंत्री को राष्ट्रपति श्री पुतिन की ओर से शुभकामनाएं दी और भारत एवं रूस के बीच चल रही परियोजनाओं के प्रगति के बारे में बताया।
प्रधानमंत्री ने रूस को समय की कसौटी पर खरा और विश्वसनीय मित्र बताया और सभी क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग के विस्तार, सुदृढ़ीकरण और गहराई प्रदान करने के राष्ट्रपति पुतिन की वचनबद्धता की पुष्टि और समर्थन किया।
उन्होंने जून में अपने ताशकंद दौरे के दौरान राष्ट्रपति पुतिन के साथ हाल की बैठक तथा कुडनकुलम परमाणु विद्युत संयंत्र यूनिट-1 के लोकार्पण के लिए वीडियो के जरिए अपनी वार्ता की याद दिलाई।
प्रधानमंत्री ने इच्छा व्यक्त की कि भारत राष्ट्रपति पुतिन के भारत दौरे की उत्सुकता के साथ प्रतीक्षा कर रहा है।
इसे विद्युत मंत्रालय के दिनांक 04.04.2006 और 01.09.2006 के आदेशों के अनुसरण में लागू किया गया था।
कार्यान्वयन की रणनीति :
इस मंजूरी से, विद्युत मंत्रालय के दिनांक 04.04.2006 और 01.09.2006 के आदेशों के अनुसरण हाइड्रो क्षेत्र के केन्द्रीय सार्वजनिक उद्यमों द्वारा लागू किए गए वेतनमानों को नियमित किया जाएगा।
इस मंजूरी से, 01.01.2007 से पहले हाइड्रो क्षेत्र के केन्द्रीय सार्वजनिक उद्यमों में शामिल लगभग 5,254 कार्यपालक लाभान्वित होंगे।
इससे हाइड्रो क्षेत्र के केन्द्रीय सार्वजनिक उद्यमों के कार्यपालकों का मनोबल प्रेरित और मजबूत होगा।
वेतनमानों के नियमन के लिए लगभग 323 करोड़ रुपये की कुल लागत होगी।
कामगारों और पर्यवक्षकों के वेतनमान, ई-1 ग्रेड में कार्यपालकों के वेतनमान से अधिक थे।
सचिवों की समिति (सीओएस) और मंत्रिमंडल द्वारा पहले कई बार इस प्रस्ताव पर विचार किया गया था।
दिसंबर, 2013 में मंत्रिमंडल ने निम्नलिखित निर्णय लिए थे :
हालांकि, वसूली संबंधी कठिनाइयों और ऐसी वसूली से कर्मचारियों के हतोत्साहित होने के बारे में ध्यान रखते हुए 01.01.1997 से प्राप्त किए गए अतिरिक्त वेतन की वसूली नहीं की जाएगी।
उत्तराखंड और मेघालय के उच्च न्यायालयों ने उपर्युक्त निर्णय को खारिज कर दिया था।
उत्तराखंड उच्च न्यायालय के फैसले के विरूद्ध 12.04.2017 को उच्चतम न्यायालय में एसएलपी दाखिल किया गया था, जिसे 08.05.2017 को खारिज कर दिया गया।
मेघालय और उत्तराखंड के उच्च न्यायालयों में अवमानना याचिका दाखिल की गई है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल समिति ने निम्नलिखित प्रस्तावों को मंजूरी दी –
· हिन्दुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) को पट्टे पर जमीन उपलब्ध कराना।
· हिन्दुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) द्वारा भारतीय उर्वरक निगम की गोरखपुर एवं सिंद्री इकाइयों तथा हिन्दुस्तान उर्वरक लिमिटेड (एचएलसीएल) की बरौनी इकाई के पुनर्गठन के लिए रियायत समझौता तथा भूमि पट्टा समझौता उपलब्ध कराना।
· गोरखपुर, सिंद्री और बरौनी की तीन परियोजनाओं के लिए एचयूआरएल और एफसीआईएल/एचएफसीएल के बीच समझौते के मद्देनजर वैकल्पिक समझौतों और अन्य समझौतों को स्वीकृति देने के लिए अंतर-मंत्रालयी समिति को अधिकृत करना।
एफसीआईएल/एचएफसीएल के गोरखपुर, सिंद्री और बरौनी इकाइयों के पुनर्गठन से उर्वरक क्षेत्र में पर्याप्त निवेश सुनिश्चित होगा।
ये इकाइयां जगदीशपुर-हल्दिया पाइपलाइन (जेएचपीएल) गैस पाइपलाइन के प्रमुख ग्राहक के तौर पर काम करेंगी, जिसे पूर्वी भारत में महत्वपूर्ण अवसंरचना के विकास के लिए बिछाया जा रहा है।
इससे क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा होंगे और पूर्वी क्षेत्र/राज्य की अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी।
उर्वरक इकाइयों के पुनर्गठन से यूरिया का घरेलू उतपादन बढ़ेगा और परिणामस्वरूप यूरिया में आत्मनिर्भरता आएगी।
· एनटीपीसी,आईओसीएल, सीआईएल और एफसीआईएल/एचएफसीएल की संयुक्त उपक्रम कंपनी एचयूआरएल का गठन जून 2016 में किया गया था, ताकि गोरखपुर, सिंद्री और बरौनी में उर्वरक पुनर्गठन परियोजनाओं को कार्यान्वित किया जा सके।
· इन तीन स्थानों पर उर्वरक परियोजनाओं के गठन में एचयूआरएल की सहायता के लिए एफसीआईएल/एचएफसीएल द्वारा एचयूआरएल के साथ पट्टा समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने हैं।
जमीन का पट्टा 55 वर्ष की अवधि के लिए होगा।
· पट्टाधारक (एचयूआरएल) प्रति वर्ष पट्टादाता (एफसीआईएल/एचएफसीएल) को एक लाख रुपये प्रति वर्ष का आंशिक पट्टा किराया देगा।
· एफसीआईएल की सिंद्री और गोरखपुर इकाइयों तथा एचएफसीएल की बरौनी इकाई के लिए रियायत समझौते के मद्देनजर एफसीआईएल/एचएफसीएल तथा एचयूआरएल (रियातय प्राप्त) के बीच समझौत होना है, जिसके तहत एचयूआरएल को डिजाइन, इंजीनियरिंग, निर्माण, खरीद, परीक्षण, जांच, संचालन, उर्वरक संयंत्रों के रख-रखाव और उसके उत्पादन के विपणन का अधिकार प्राप्त हो सके।
· एचयूआरएल को वित्त प्राप्त करने के लिए भूमि आवंटन के उद्देश्य के मद्देनजर एफसीआईएल/एचएफसीएल, विशेष परियोजनाओं के लिए ऋणदाता प्रतिनिधि तथा एचयूआरएल के बीच होने वाले वैकल्पिक समझौते, जो एक त्रिपक्षीय समझौता है, उसके लिए प्रत्येक परियोजनाओं के संबंध में ऋणदाता समूह द्वारा हस्ताक्षर किये जाने के बाद इस समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने की आवश्यकता होगी।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) में विदेशी निवेश के लिए नियमों में संशोधनों के लिए अपनी मंजूरी दी।
‘अन्य वित्तीय सेवाओं में’ विदेशी निवेश, जो कि किसी अन्य विनिमयाकों/सरकारी एजेंसी द्वारा विनियमित नहीं है, मंजूरी मार्ग से किया जा सकता है।
इसके अलावा, एफडीआई नीति के अंतर्गत न्यूनतम पूंजीकरण मानदंडों को भी समाप्त कर दिया गया है, क्योंकि अधिकांश विनियामकों ने पहले से ही न्यूनतम पूंजीकरण मानदंड निर्धारित कर लिए हैं।
इससे एफडीआइ को प्रोत्साहन मिलेगा और देश में आर्थिक गतिविधियां तेज होगी।
यह सिर्फ किसी एक राज्य/जिले पर लागू न होकर, सम्पूर्ण भारत पर लागू होगा।
बजट 2016-17 के अपने भाषण में माननीय वित्त मंत्री ने यह घोषणा की थी कि ‘एफडीआइ को ऐसी 18 विनिर्दिष्ट एनबीएफसी गतिविधियों के अलावा उन अन्य गतिविधियों में स्वत: अनुमोदित मार्ग से लागू किया जाएगा, जो वित्तीय क्षेत्र के विनियामकों द्वारा विनियमित नहीं है’।
‘गैर बैंकिंग वित्त कंपनियों’ पर वर्तमान नियम निर्धारित करते है कि इन नियमों में उल्लेखित निर्धारित न्यूनतम पूंजीकरण मानदंडों को पूरा करने के पश्चात सिर्फ 18 निर्दिष्ट एनबीएफसी गतिविधियों के लिए ही एफडीआइ की अनुमति दी जाएगी।
कौशल विकास संस्थान, के जरिए उच्च गुणवत्ता वाले कौशल प्रशिक्षण, अनुसंधानपरक शिक्षा तथा उद्योग जगत से व्यावहारिक तरीके से सीधे जुड़ने का अवसर उपलब्ध कराते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था के मुख्य क्षेत्रों को वैश्विक प्रतिस्पर्धामें टिके रहने में सक्षम बनाएंगे।
यह देश भर में आकांक्षी युवाओं को अत्यधिक कुशल प्रशिक्षण उपलब्ध कराने के साथ ही उद्योग जगत के साथ सीधे जुड़ने का अवसर भी देगा, ताकि वे वैश्विक स्तर पर सभी क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धी बन सकें।
निजी क्षेत्र के फायदों और भूमि के रूप में सरकारी पूंजी के माध्यम से इस योजना के तहत विशेषज्ञता, ज्ञान और प्रतिस्पर्धी क्षमता वाले नये संस्थान स्थापित किए जा सकेंगे।
1. प्रधानमंत्री थेरेसा मे के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सरकारी अतिथि के रूप में 18 अप्रैल 2018 को ब्रिटेन की यात्रा की।
2. दुनिया के सबसे पुराने और सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में साझा मूल्यों, समान कानूनों और संस्थानों के आधार पर, अपनी रणनीतिक भागीदारी को मजबूत करने की ब्रिटेन और भारत की एक स्वाभाविक महत्वाकांक्षा है।
हम राष्ट्रमंडल के सदस्य हैं।
हम वैश्विक दृष्टिकोण और एक नियम-आधारित ऐसी अंतरराष्ट्रीय प्रणाली के प्रति वचनबद्धता का हिस्सा हैं जो उन एकतरफा उठाए गए कदमों का जोरदार विरोध करती हैं जो बल के माध्यम से इस प्रणाली को कमजोर करना चाहते हैं।
हम अपने राष्ट्रों के बीच अनगिनत व्यक्तिगत और व्यावसायिक संबंधों के जीवंत सेतु को साझा करते हैं।
3. साझा और वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए ब्रिटेन और भारत एक साथ और राष्ट्रमंडल सदस्य-राष्ट्रों, राष्ट्रमंडल सचिवालय और अन्य सहयोगी संगठनों के साथ मिलकर काम करेंगे।
हम राष्ट्रमंडल को पुनर्जागृत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं ताकि विशेषकर कम असुरक्षित देशों और युवाओं के संदर्भ मे इसकी प्रासंगिकता सुनिश्चित की जा सके, जो राष्ट्रमंडल की जनसंख्या का 60% हिस्सा हैं।
• राष्ट्रकुल और विश्व पर्यावरण दिवस 2018 के मेजबान के रूप मे भारत की भूमिका के माध्यम से प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए समन्वित वैश्विक कार्रवाई को बढ़ावा देना;
प्रौद्योगिकी भागीदारी
4. ब्रिटेन-भारत प्रौद्योगिकी भागीदारी हमारे संयुक्त दृष्टि और हमारी मौजूदा तथा भावी पीढ़ी की समृद्धि का मूल आधार है।
हमारे राष्ट्र तकनीकी क्रांति के मामले में सबसे आगे हैं।
हम ज्ञान साझा करेंगे, अनुसंधान में सहयोग करेंगे, और अपने विश्व-स्तरीय नवाचार समूहों के बीच साझेदारी बनायेंगे।
हम उच्च स्तर की नौकरियों के अवसर पैदा करेंगे, उत्पादकता बढ़ाएंगे, व्यापार और निवेश को बढ़ावा देगें और साझा चुनौतियों का सामना करने के लिए अपनी पूरक तकनीकी शक्तियों का इस्तेमाल करेंगे।
5. वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए दोनों पक्ष अपने युवाओं के कौशल और क्षमताओं को विकसित करते हुए भविष्य की प्रौद़यौगिकी के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाएंगे; आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) की क्षमता को साकार करेंगे; डिजिटल अर्थव्यवस्था; स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियों; साइबर सुरक्षा; और स्वच्छ विकास, स्मार्ट शहरीकरण और भविष्य की गतिशीलता को बढ़ावा देगें।
6. प्रौद्यौगिकी साझेदारी के तहत भारत सरकार ब्रिटेन में ब्रिटेन-भारत टेक हब स्थापित करने की पहल का स्वागत करती है।
टेक हब, उच्च तकनीक कंपनियों को एक साथ लाने के लिए निवेश और निर्यात के अवसर तैयार करेगा और भविष्य की गतिशीलता, उन्नत विनिर्माण और भारत के आकांक्षी जिलों के कार्यक्रमों के तहत हेल्थकेयर के क्षेत्र में बेहतरीन तकनीक और अग्रिम नीति सहयोग को साझा करने के लिए एक नया मंच प्रदान करेगा।
7. वैश्विक चुनौती से निपटने के लिए दोनों पक्ष विज्ञान अनुसंधान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत और ब्रिटेन की बेहतरीन प्रतिभाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं।
ब्रिटेन अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान और नवाचार के मामले में भारत का दूसरा सबसे बड़ा साझेदार है।
वर्ष 2008 से शुरू हुए ब्रिटेन-भारत न्यूटन भाभा कार्यक्रम के तहत 2021 तक संयुक्त अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में 400 मिलियन पॉण्ड से ज्यादा राशि के पुरस्कार प्रदान किये जाएंगे।
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी के जरिये हम ब्रिटेन और भारत को रहने लायक एक सुरक्षित और स्वस्थ स्थान बनाने के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र में अपने संबंधों को और मजबूत बनाएंगे।
व्यापार, निवेश और वित्त
8. ब्रिटेन द्वारा अपने लिए एक स्वतंत्र व्यापार नीति तथा एक-दूसरे के यहां निवेशक को सुगम बनाने की जिम्मेदारी लेने की वजह से दोनों नेता परस्पर व्यापार के लिए नई व्यवस्था विकसित करने के लिए भारत और ब्रिटेन की साझा पूरक क्षमताओं के माध्यम से व्यापारिक साझेदारी को एक नया रूप देने पर सहमत हुये।
ब्रिटेन-भारत संयुक्त व्यापार समीक्षा बैठक के सुझावों के आधार पर हम व्यापार की बाधाओं को कम करने के लिए क्षेत्रवार रोड़मैप तैयार करने के साथ परस्पर व्यापार को सुगम बनाने और यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के अलग हो जाने के बाद द्विपक्षीय संबंधों को प्रगाढ़ बनाने के लिए मिलकर काम करेंगे।
यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के निकल जाने के बाद की अवधि में हम यह सुनिश्चित करेंगे कि ब्रिटेन-भारत समझौते को लागू करने के प्रयास आगे भी जारी रहें।
9. दोनों नेताओं ने नियम आधारित बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था की भूमिका पर फिर से भरोसा जताया तथा सतत टिकाऊ विकास और प्रगति के लिए मुक्त, निष्पक्ष और खुले व्यापार के महत्व पर जोर दिया।
उन्होंने विश्व व्यापार संगठन के सभी सदस्य देशों के साथ मिलकर काम करने के साथ ही व्यापार पर संयुक्त कार्य समूह की वार्ताओं को आगे भी जारी रखने की प्रतिबद्धता दोहराई, जिससे वैश्विक नियम आधारित व्यवस्था के प्रति साझा प्रतिबद्धता के साथ ही इस बारे में विश्व व्यापार संगठन की भूमिका को सशक्त बनाया जा सकेगा।
10. पिछले दस वर्षों में ब्रिटेन भारत में जी-20 का सबसे बड़ा निवेशक देश रहा है, जबकि भारत ब्रिटेन में निवेश परियोजनाएं लगाने के मामले में चौथा सबसे बड़ा देश रहा है।
भविष्य में सहयोग की संभावनाओं की समीक्षा तथा आपसी प्राथमिकताओं की पहचान को बेहतर बनाने के लिए हम निवेश के बारे में नये सिरे से बातचीत शुरू करेंगे।
11. भारत ने ब्रिटेन में भारतीय निवेश के लिए एक पारस्परिक फास्ट ट्रैक तंत्र स्थापित करके भारतीय व्यवसायों को अतिरिक्त समर्थन प्रदान करने के लिए ब्रिटेन के फैसले का स्वागत किया।
तकनीकी सहयोग का कार्यक्रम नियामक पर्यावरण में सुधार करने में मदद करेगा।
भारत और ब्रिटेन की साझा तरक्की के लिए दोनों पक्ष ब्रिटेन और भारत के सीईओ फोरम सहित व्यापार हितधारकों की पहलों को समर्थन करेंगे।
जीजीईएफ 2022 तक भारत को 175 गीगावॉट हरित ऊर्जा क्षमता के लक्ष्य को हासिल करने में मदद करने के साथ ही हरित परिवहन तथा जल और मल प्रबंधन के क्षेत्र में निवेश को भी बढ़ावा देगा।
14. हमने प्रस्तावित नए नियामक सहयोग समझौते सहित – हमारे दोनों देशों के बीच फिनटेक वार्ता शुरू करने का स्वागत किया है।
हमारे बीच वित्तीय सेवाओं के सहयोग को तकनीकी मदद से बढ़ाया जाएगा, ताकि दिवालियापन, पेंशन और बीमा क्षेत्र के बाजारों को विकसित किया जा सकें।
इन क्षेत्रों में आगे सहयोग की रूपरेखा दोनों देशों के वित्त मंत्रियों द्वारा निर्धारित की जाएंगी, जब वे इस वर्ष के अंत में आर्थिक और वित्तीय वार्ता के दसवें दौर के लिए मिलेंगे।
15. मौजूदा वैश्विकरण के दौर में भारत और ब्रिटेन सम्पर्क के महत्व को स्वीकार करते है।
जवाबदेह वैश्विक नेतृत्व
16. दोनों नेताओं ने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
18. संपन्न लोकतंत्र के रूप में, हम उन सभी के साथ मिलकर काम करने की इच्छा साझा करते हैं जो नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का समर्थन करते हैं और अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों, वैश्विक शांति और स्थिरता पर सहमत हैं।
ब्रिटेन और भारत अनिश्चितताओं से भरे विश्व में अच्छाई की एक ताकत हैं।
19. वर्ष 2030 तक गरीबी उन्मूलन तथा विकास को गति देने के लिए दोनो देशे अपने साझा प्रयासों को और सशक्त बनाएंगे।
हम यह सुनिश्चित करेंगे कि वित्तीय मदद की उपलब्धता ,नए बाजार ,व्यापार ,निवेश,संपर्क और आर्थिक एककीकरण के फायदे ज्यादा से ज्यादा देशों समाज के सबसे गरीब और वंचित तबकों को मिले और एक बेहतर और सुरक्षित भविष्य का निमार्ण हो सके।
रक्षा और साइबर सुरक्षा
20. सुरक्षा और संरक्षा को अपने नए संबंघो का आधार बनाने के लिए हमने 2015 में एक नये रक्षा और अंतरराष्ट्रीय भागीदारी का संकल्प लिया।
21. एक सुरक्षित, मुक्त, खुला, समावेशी और समृद्ध भारत प्रशांत क्षेत्र केवल भारत ही नहीं, बल्कि ब्रिटेन और पूरे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के हित में है।
भारत और ब्रिटेन इस क्षेत्र में समुद्री नौवहन को ज्यादा सुरक्षित बनाने के लिए मिलकर काम करेंगे।
22. हम साइबर स्पेस में सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और स्थायित्व को बढ़ावा देने के लिए परस्पर सहयोग को मजबूत बनाने पर सहमत हुये हैं।
23. दोनों नेताओं ने भारत और ब्रिटेन में आतंकवादी गतिविधियों सहित आतंकवाद का हर रूप में खात्मा करने के लिए प्रतिबद्धता दोहराई।
उन्होंने रासायनिक हथियार निषेध संधि की व्यवस्थाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने पर जोर दिया।
शिक्षा और लोगों के बीच सम्पर्क
27. हम ऐसे विषयों और क्षेत्रों में अपने यहां के प्रतिभावान लोगों को ब्रिटेन में पड़ने और नौकरी करने के अवसर दिये जाने का स्वागत करते है, जो कौशल विकास में सहायक बनकर दोनों देशों की समृद्धि में सहयोग कर सकते है।
28. दोनों नेताओं ने भारत-ब्रिटेन सांस्कृतिक वर्ष 2017 के सफल समापन पर खुशी जाहिर की।
31. हम इसे एक रणनीतिक साझेदारी बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिसका विस्तार समूचे विश्व के साथ ही पूरी शताब्दी तक हो , जिससे आने वाले समय में हमारे विशेष संबंध और विकसित हो सकें।
हम अपने व्यावसायिक, सांस्कृतिक और बौद्धिक नेताओं को उन लाखों गतिविधियों का पूरा लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं जो भारत और ब्रिटेन, को पारिवारिक स्तर से लेकर वित्तीय व्यवस्था तथा व्यवसाय से लेकर बॉलीवुड तक तथा खेल से लेकर विज्ञान तक परस्पर जोड़ते हैं, ताकि लाखों की संख्या में ब्रिटिश और भारतीय नागरिक एक-दूसरे देशों की यात्रा करें, व्यापार करें और एक-दूसरे से काफी कुछ सीखे।
32. प्रधानमंत्री मोदी ने प्रधानमंत्री थेरेसा मे और ब्रिटेन सरकार को गर्मजोशी के साथ उनके और उनके प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करने के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि वे भारत में उनका स्वागत करने के लिए तत्पर हैं।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण के क्षेत्र में (वीईटी) भारत और बेलारूस के बीच समझौता ज्ञापन एमओयू को अपनी कार्येतर मंजूरी प्रदान कर दी है।
बेलारूस के महामहिम राष्ट्रपति श्री एलेक्जेंडर लुकाशेंको के भारत में सरकारी दौरे के दौरान 12 सितंबर 2017 को इस एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए थे।
व्यावसायिक शिक्षा, प्रशिक्षण और दक्षता विकास के क्षेत्र में सहयोग के लिए यूरेशियन देश के साथ पहली बार यह समझौता किया गया है।
उनकी दक्षता पद्धति के ज्ञान के हस्तांतरण के फलस्वरूप ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्किल इंडिया’ जैसी हमारी पहलों को बड़े पैमाने पर मदद मिलेगी।
इस समझौता ज्ञापन से विनिर्माण क्षेत्र में जनशक्ति की दक्षता में उनकी निपुणता और ज्ञान के व्यवस्थित हस्तांतरण का मार्ग प्रशस्त होगा।
सहयोग के क्षेत्र निम्नलिखित है:
बेलारूस उन्नत प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण और मूल्यांकन पद्धितियों, नियमित/दूरस्थ, अध्ययन/मास्टर प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण, उनके क्षमता क्षेत्र में क्षमता निर्माण और मूल्यांकन और नेटवर्क निर्माण और उद्योग, सहबद्धता के संबंध में जानकारी का व्यापक हस्तांतरण उपलब्ध कराएगा।
1. निर्माण, विद्युत ऊर्जा उत्पादन और वितरण, विनिर्माण उद्योग, व्यापार, ऑटो सर्विस तथा घरेलू साजो-सामान, साजो-सामान की मरम्मत, रख-रखाव, परिवहन, संचार, होटल और रेस्टोरेंट के साथ-साथ भारत में भारी मांग वाली अन्य क्षेत्रों में दक्षता के विकास के लिए भारत के नागरिकों के लिए व्यावसायिक शिक्षा की व्यवस्था।
2. बेलारूस के द्वारा भारत के प्रशिक्षण प्रबंधकों, अध्यापको और प्रशिक्षकों के लिए व्यावसायिक शिक्षा के क्षेत्र में उन्हें ट्रेनिंग, अपस्किलिंग, इंटरनशिप की व्यवस्था।
2. व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण एवं दक्षता विकास की डिलिवरी के संवर्द्धन की दृष्टि से आयोजना, प्रबंधन और डिलिवरी के लिए परामर्शदायी सेवाएं।
• समझौता ज्ञापन से बेलारूस के अनुभव एवं विशेषज्ञता के दृष्टिगत देश में दक्षता प्रणाली के माहौल में सम्पूर्ण सुधार आएगा।
• प्रस्ताव के कार्यान्वयन में इस क्षेत्र में अनुसंधान और विकास के माध्यम से वर्तमान व्यवसायिक शिक्षा में नवोन्मेष और सुधार शामिल है।
इस समझौता ज्ञापन के फ्रेमवर्क के भीतर परस्पर सहयोगात्मक गतिविधियों के लिए दोनों पक्षों के बीच मामला दर मामला वित्तीय व्यवस्था धन की उपलब्धता के अध्याधीन होगी।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज आंध्रप्रदेश के गेल पाइपलाइन अग्निकांड में मारे गए लोगों के परिजनों को प्रधानमंत्री राहत कोष से दो लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है।
यह राशि पेट्रोलियम मंत्रालय तथा गेल द्वारा दी गई राहत सहायता के अतिरिक्त होगी।
गंभीर रूप से घायल व्यक्तियों के लिए 50 हजार रुपये की अनुग्रह राशि भी स्वीकृत की गई है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज इकोनोमिक टाइम्स वैश्विक व्यवसाय सम्मेलन को संबोधित किया।
उन्होंने कहा कि 2013-14 की तुलना में, जब भारत विकराल महंगाई, उच्च राजकोषीय घाटे तथा नीतिगत अपंगता से घिरा हुआ था, आज स्पष्ट बदलाव दृष्टिगोचर हो रहा है।
उन्होंने कहा कि हिचकिचाहटों की जगह उम्मीदों ने ले ली है और बाधाओं की जगह आशावादिता ने ले ली है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 से भारत में लगभग सभी अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग एवं सूचकांकों में उल्लेखनीय सुधार आया है।
उन्होंने कहा कि रैंकिंग अधिकतर पश्चतासूचक होते हैं जो तभी बदलते हैं जब जमीनी स्तर पर बदलाव आता है।
इस संदर्भ में उन्होंने व्यवसाय की सुगमता का उल्लेख किया जिसके कई मानकों में स्पष्ट रूप से सुधार आया है।
उन्होंने कहा कि वैश्विक नवोन्मेषण सूचकांक 2014 के 76 से सुधरकर 2018 में 57 तक आ चुका है जिससे नवोन्मेषण में तेज बदलाव स्पष्ट रुप से दिख रहा है।
प्रधानमंत्री ने अभी एवं 2014 से पहले के बीच प्रतिस्पर्धा के विभिन्न रुपों के बीच एक अंतर रेखांकित किया।
उन्होंने कहा कि अब प्रतिस्पर्धा विकास पर है और कुल स्वच्छता, या कुल विद्युतीकरण, या उच्च निवेश जैसे आकांक्षापूर्ण लक्ष्यों को अर्जित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इसके विपरीत, पहले स्पष्ट प्रतिस्पर्धा देरी एवं भ्रष्टाचार को लेकर प्रतीत होती थी।
प्रधानमंत्री ने इस प्रकार के ‘वर्णन’ की जोरदार आलोचना की कि कुछ चीजें भारत में बिल्कुल असंभव हैं।
उन्होंने घोषणा की कि असंभव अब संभव है और उन्होंने भारत को स्वच्छ एवं भ्रष्टाचार मुक्त बनाने, गरीबों द्वारा प्रौद्योगिकी की ताकत का उपयोग करने, एवं नीति निर्माण में स्वनिर्णय तथा मनमानेपन को हटाने की दिशा में की गई प्रगति की चर्चा की।
उन्होंने कहा कि पहले इस प्रकार की धारणा बनाई गई थी कि सरकारें एक ही समय विकासोन्मुखी तथा गरीबोन्मुखी नहीं हो सकतीं, लेकिन भारत के लोग अब इसे संभव बना रहे हैं।
उन्होंने कहा कि 2014 से 2019 के बीच देश 7.4 प्रतिशत की औसत से विकास दर्ज कराएगा और औसत मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत से कम रहेगी।
उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के बाद से किसी भी सरकार की अवधि के दौरान यह औसत विकास की सर्वाधिक दर और औसत मुद्रा स्फीति की न्यूनतम दर होगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 4 वर्षों के दौरान देश में प्राप्त विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की राशि लगभग उतनी ही है जितनी 2014 से पहले के सात वर्षों के दौरान प्राप्त हुई थी।
उन्होंने कहा कि इसे अर्जित करने के लिए भारत को रुपांतरण हेतु सुधारों की आवश्यकता थी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दिवालियापन कोड, जीएसटी, रियल एस्टेट अधिनियम के जरिए दशकों के उच्चतर विकास के लिए एक ठोस बुनियाद रख दी गई है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत 130 करोड़ आकांक्षाओं का देश है और विकास तथा प्रगति के लिए कभी भी एक विजन नहीं हो सकता।
उन्होंने कहा कि ‘नवीन भारत का हमारा विजन आर्थिक रूपरेखा, जाति, वर्ण, भाषा एवं धर्म से परे, समाज के सभी वर्गों की आवश्यकताओं का ध्यान रखता है।’
श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि, ‘नवीन भारत के हमारे विजन में भविष्य की चुनौतियों पर ध्यान देना तथा अतीत की समस्याओं का समाधान करना शामिल है।’
इस संदर्भ में उन्होंने निम्नलिखित उदाहरण दिएः
जहां भारत ने अपनी सबसे तेज गति से चलने वाली रेलगाड़ी का निर्माण किया है, इसने सभी मानव-रहित रेलवे क्रांसिंगों को भी समाप्त कर दिया है।
जहां भारत तेज गति से आईआईटी एवं एम्स का निर्माण कर रहा है वहीं, इसने देशभर में सभी विद्यालयों में शौचालयों का भी निर्माण किया है।
जहां भारत देश भर में 100 स्मार्ट सिटियों का निर्माण कर रहा है, यह 100 से अधिक आकांक्षापूर्ण जिलों में तेज प्रगति भी सुनिश्चित कर रहा है।
जहां भारत बिजली का एक शुद्ध निर्यातक देश बन गया है इसने यह भी सुनिश्चित किया है कि ऐसे करोड़ों घरों, जो आजादी के समय से ही अंधेरे में थे, को बिजली मिल सके।
प्रधानमंत्री ने सामाजिक क्षेत्र में सकारात्मक उपायों की चर्चा करते हुए कहा कि सरकार प्रत्येक वर्ष 6000 रुपए की सहायता उपलब्ध कराने के जरिए 12 करोड़ छोटे एवं सीमांत किसानों तक पहुंच रही है।
उन्होंने कहा कि यह अगले 10 वर्षों में हमारे किसानों को 7.5 लाख करोड़ रुपए या लगभग 100 बिलियन डॉलर हस्तांतरित करेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि डिजिटल इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया, मेक इन इंडिया और इनोवेट इंडिया पर हमारे फोकस से बेहतर लाभांश सामने आ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भारत में पंजीकृत स्टार्ट-अप के 44 प्रतिशत द्वितीय एवं तृतीय श्रेणी शहरों से हैं।
उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी निर्धनों एवं धनी व्यक्तियों के बीच के अंतर को पाट रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार भारत को एक 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने, ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों की दिशा में वैश्विक अभियान का नेतृत्व करने एवं भारत को बिजली के वाहनों तथा ऊर्जा भंडारण उपकरणों में विश्व का अग्रणी देश बनाने के लिए तत्पर है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने व्यापार और आर्थिक सहयोग को सुदृढ़ करने व संवर्द्धन के लिए भारत और इथोपिया के बीच व्यापार करार को अपनी कार्येतर मंजूरी प्रदान कर दी है।
भारत के राष्ट्रपति की 4 से 6 अक्टूबर, 2017 तक इथोपिया की राजकीय यात्रा के दौरान 5 अक्टूबर, 2017 को इस व्यापार करार पर हस्ताक्षर हुए थे।
यह व्यापार करार 1982 में हस्ताक्षरित हुआ था, व वर्तमान व्यापार करार इसका स्थान लेगा।
इस व्यापार करार में व्यापार, आर्थिक सहयोग, निवेश और तकनीकी क्षेत्र में प्रोत्साहन के लिए सभी आवश्यक उपायों का प्रावधान किया गया है।
“हमारे परम प्रिय और सर्वाधिक सम्मानित अटल जी को जन्मदिन की बधाई।
मैं उनके स्वस्थ जीवन और दीर्घायु के लिए प्रार्थना करता हूं।
अटल जी द्वारा अनुकरणीय सेवा और नेतृत्व के चलते भारत के विकास पर काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
उनका महान व्यक्तित्व प्रेरणा का स्रोत है।”
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पठानकोट में आतंकवादी हमले की कड़ी भर्त्सना की है और कहा है कि मानवता के दुश्मन जो राष्ट्र की प्रगति को नहीं देख सकते, उन्होंने भारतीय सशस्त्र बलों को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया है।
आतंकवादियों के मंसूबों को सफलतापूर्वक नाकाम करने के लिए उऩ्होंने सशस्त्र बलों का अभिनन्दन किया और कार्रवाई के दौरान प्राण न्यौछावर करने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
प्रधानमंत्री ने मैसूर के महाराजा कॉलेज ग्राउंड में श्री सुत्तूर मठ के परम पूज्य जगतगुरू डॉ. श्री शिवराथरी राजेन्द्र महास्वामीजी के शताब्दी समारोह के दौरान जनसभा को संबोधित करते हुए ये उद्गार व्यक्त किए।
प्रधानमंत्री के भाषण के अंश निम्नलिखित हैः-
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने आय पर करों के संबंध में दोहरे कराधान का परिहार करने और राजकोषीय अपवंचन को रोकने के लिए भारत गणराज्य की सरकार तथा चीन जनवादी गणराज्य के विशेष प्रशासनिक क्षेत्र हांगकांग की सरकार के बीच करार को अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है।
यह करार भारत के हांगकांग एसएआर को तथा विलोमत: निवेश, प्रौद्योगिकी तथा कार्मिकों की आवाजाही को बढ़ाएगा और दोनों संविदाकारी पक्षकारों के बीच दोहरे कराधान को रोकेगा और सूचनाओं के आदान-प्रदान का प्रावधान करेगा।
यह कर मामलों में पारदर्शिता में सुधार तथा कर अपवंचन एवं कर के परिहार को रोकने में सहायता करेगा।
जहां तक भारत का संबंध है, केंद्र सरकार, आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 90 के अंतर्गत, आयकर अधिनियम,1961 के अंतर्गत आय पर दोहरे कराधान के परिहार के लिए, प्रभार्य आयकर के अपवंचन अथवा उसके परिहार की रोकथाम के लिए सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए विदेश अथवा विनिर्दिष्ट प्रदेश के साथ करार करने के लिए प्राधिकृत है।
प्रस्तावित करार उसी तर्ज पर है, जैसा भारत ने दूसरे देशों के साथ किया है।